Unemployment Rate in India: क्या बेरोजगारी की स्थिति अब कोविड-19 महामारी के समय से भी बदतर है? क्योंकि कांग्रेस ने गुरुवार को आरोप लगाते हुए यही बात कही है. उन्होंने ‘सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी’ के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि दिसंबर 2023 में 25-29 आयु वर्ग के युवाओं में बेरोजगारी 15.5 प्रतिशत रही जो लगभग चार वर्षों में सबसे अधिक है. कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर प्रत्येक साल दो करोड़ रोजगार सृजन वाले वादे में विफल रहने का भी आरोप लगाया.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाते हुए कहा कि विगत 10 वर्षों में देश में “नौकरियों के अकाल” के हालात और भी बदतर हो गए हैं. उन्होंने कहा कि भारत का युवा ऐसी तरक्की का हकदार है जो उसे अच्छी गुणवत्ता वाली नौकरी दे, न कि ‘बेरोजगारी और पकौड़े की दुकान’.
जयराम रमेश ने कहा कि 20-24 आयु वर्ग के युवाओं में बेरोजगारी दर 45.5 प्रतिशत है. इसका मतलब यह है कि बेरोजगारी की स्थिति अब कोविड-19 महामारी के समय से भी बदतर है. 30-34 साल की उम्र वालों के लिए भी बेरोजगारी दर तीन साल के उच्चतम स्तर पर है.
बेरोजगारी दर ने पिछले 4 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया।
दिसम्बर में 25 से 29 साल के युवाओं के बीच बेरोजगारी दर 15.5% पहुंच गई। यह कोरोना काल से भी भयावह स्थिति है।
देश का युवा आज बेरोजगार और हताश है।
हालात इस कदर बुरे हैं कि 20-24 साल के युवा वर्ग में बेरोजगारी दर 44.49% पहुंच चुकी…
— Congress (@INCIndia) January 11, 2024
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उन्होंने आगे कहा, ‘ग्रामीण क्षेत्रों में संकट विशेष रूप से भयावह है. अधिक से अधिक परिवार मनरेगा की ओर रुख कर रहे हैं क्योंकि कोई अन्य रोजगार उपलब्ध नहीं है. यह बिल्कुल स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री प्रति वर्ष दो करोड़ नौकरियां पैदा करने के अपने वादे को पूरा करने में बुरी तरह विफल रहे हैं’.
आंकड़ों से डरने की ज़रूरत क्यों?
आर्थिक विकास में कमी: बेरोजगारी दर में वृद्धि से आर्थिक विकास में कमी आ सकती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि बेरोजगार लोग उत्पादन में योगदान नहीं दे पाते हैं. इससे राष्ट्रीय आय और रोजगार के अवसरों में कमी आ सकती है.
सामाजिक अशांति: बेरोजगारी दर में वृद्धि से सामाजिक अशांति बढ़ सकती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि बेरोजगार लोग आर्थिक रूप से परेशान हो सकते हैं और इससे उन्हें असंतोष और गुस्सा हो सकता है. इससे हिंसा और अन्य सामाजिक समस्याएं बढ़ सकती हैं.
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सरकारी खर्च में वृद्धि: बेरोजगारी दर में वृद्धि से सरकारी खर्च में वृद्धि हो सकती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि बेरोजगार लोगों के लिए सरकारी सहायता की आवश्यकता बढ़ जाती है. इससे सरकार पर आर्थिक बोझ बढ़ सकता है.
बेरोजगारी दर से डरने की ज़रूरत इसलिए भी है क्योंकि यह एक गंभीर सामाजिक समस्या है. बेरोजगारी दर में वृद्धि से समाज में असमानता भी बढ़ सकती है.
Last Updated on January 11, 2024 1:22 pm