Bhima Koregaon violence: शोमा सेन लगभग 6 सालों बाद जेल से बाहर आ गईं. पुणे पुलिस ने उन्हें 8 जून 2018 को सुधीर धावले, महेश राउत, सुरेंद्र गाडलिंग और रोना विल्सन के साथ गिरफ्तार किया था. इनसब पर भीमा कोरेगांव हिंसा (Bhima Koregaon violence) में UAPA के तहत संलिप्तता के आरोप लगाए गए थे. 31 दिसंबर, 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों को लेकर शोमा सेन की गिरफ्तारी हुई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने गिरते स्वास्थ्य और बिना मुकदमा लंबे समय तक हिरासत में रखे जाने को देखते हुए उन्हें जमानत दे दी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत देते हुए कुछ शर्तें भी रखी हैं.
इसके अनुसार उन्हें अपना पासपोर्ट जमा करना होगा. विशेष अदालत की मंजूरी के बिना महाराष्ट्र नहीं छोड़ सकतीं. हर पखवाड़े में एक बार शोमा सेन को अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले स्टेशन हाउस अधिकारी को रिपोर्ट करना होगा.
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पुलिस का दावा था कि एल्गार परिषद सम्मेलन को माओवादियों का समर्थन था. भाषण के अगले दिन शहर के बाहरी इलाके में स्थित कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क उठी. वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 1 जनवरी 2018 को, जब महार समुदाय के दलित भीमा कोरेगांव युद्ध के द्विशताब्दी समारोह में भाग लेने के लिए स्मारक पर इकट्ठा हुए. उस दौरान कथित तौर पर विवादास्पद दक्षिणपंथी नेता संभाजी भिडे़ के नेतृत्व में मराठा समूहों ने एकत्र हुए लोगों पर हमला कर दिया था.
पुलिस ने शुरुआत में भिडे़ पर एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम और हत्या के प्रयास सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप भी लगाया था, लेकिन फिर 2022 में उसके खिलाफ मामला हटा दिया गया. पुलिस ने दावा किया कि भिड़े के खिलाफ उन्हें कोई सबूत नहीं मिला.
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सवाल उठता है कि शोमा सेन कौन हैं?
वह एक दलित महिला अधिकार कार्यकर्ता और सहायक प्रोफेसर हैं. साथ ही नागपुर विश्वविद्यालय के अंग्रेजी साहित्य विभाग की विभागाध्यक्ष भी रह चुकी हैं. वह उच्च-मध्यम वर्गीय बंगाली परिवार से आती हैं. उनका जन्म और पालन-पोषण मुंबई के बांद्रा में हुआ. सेंट जोसेफ कॉन्वेंट से स्कूली शिक्षा हुई और मुंबई के एलफिंस्टन कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में मास्टर डिग्री पूरी की. इसके बाद उन्होंने नागपुर यूनिवर्सिटी से एमफिल और पीएचडी की. फिर वहीं प्राध्यापक बन गईं.
राजस्थान हाई कोर्ट के Advocate, M.M. Dhera अपने X अकाउंट (@AdvocateDhera) पर लिखते हैं-
‘शोमा सेन कॉलेज में प्रोफेसर थीं. आदिवासियों पर होने वाले सरकारी अत्याचारों के खिलाफ लिखती बोलती थीं. मोदी सरकार ने फर्जी मामले में उनको जेल में डाल दिया. उस फर्जी केस में उनकी तरह के 15 और सामाजिक कार्यकर्ता वकील और पत्रकारों को भी जेल में डाल दिया गया.
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5 साल 10 महीने और 14 दिन के बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हमें शोमा सेन की जरूरत नहीं है, आप इन्हें घर जाने दे सकते हैं. मतलब सरकार के पास ना तो कोई सबूत था ना कोई मामला था. लेकिन सरकार की आलोचना करने वालों को इस तरह से फर्जी मामला बनाकर जेल में डाल दिया गया.
कोई देश विकसित तब माना जाता है जब वहां न्यायपालिका स्वतंत्र हो. लोगों के मानव अधिकारों की रक्षा हो. सिर्फ कुछ उद्योगपतियों के अमीर बन जाने से या सड़के और बिल्डिंग बन जाने से कोई देश विकसित नहीं बन जाता. भारत अभी एक पिछड़ा क्रूर और बदइंतजामी वाला भयानक खतरनाक देश है. जहां किसी भी इंसान के 6 साल सरकार यूं ही बर्बाद कर सकती है.’
Last Updated on April 18, 2024 12:32 pm