हिज़्बुल्लाह नेता Nasrallah की मौत पर भारतीय मुसलमानों का दिल दुखना ग़लत क्यों?

सत्ता के हाशिये पर पड़े नेतन्याहू ने जो फ़िलिस्तीनी इलाके में किया उसके तो फुटेज देखकर भी कई लोग खुश हो रहे हैं. कारण? क्योंकि मरनेवाले उस धर्म से ताल्लुक रखते हैं जिनसे इन लोगों को दिक्कत है.

Hassan Nasrallah Killed
Hassan Nasrallah Killed

Hassan Nasrallah Killed: बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हिंसा की इक्का दुक्का ख़बरों पर भारत के कुछ हिंदू विचलित होने लगे थे. यहां-वहां कहां-कहां की सरकारों से नाराज़ हो रहे थे. उनमें मैं भी था. किसी देश में अल्पसंख्यकों पर योजनाबद्ध हमले हों तो दुख होना बनता ही है.

लेकिन अब हिज्बुल्ला चीफ की हत्या (Hassan Nasrallah Killed) पर कुछ मुसलमान दुखी हैं तो वही लोग ज्ञानी चंद बन रहे हैं कि ये तो विदेशी मामला है, पूछ रहे हैं तुम क्यों दुखी हो? ग़ज़ा में मारे जा रहे निहत्थों की मौत पर दुखी लोगों का मज़ाक तो खैर लंबे समय से उड़ा ही रहे हैं.

मैं दावे से कह सकता हूं कि कल बांग्लादेश में कुछ हिंदू यदि अपने खिलाफ हो रही नाइंसाफी पर बंदूक उठा लें तो वो भले वहां की सरकारी नज़रों में चरमपंथी या आतंकी हो जाएं लेकिन यहां कुछ हिंदुओं के लिए सम्मानित हो जाएंगे! जिन्होंने केवल सरकारी किताब पढ़ी हैं या फिर किसी खास धर्म से नफरत पाली हो उन्हें समझना कठिन होगा कि स्टेट “आतंकी” शब्द का इस्तेमाल अपने हिसाब से करता है पर कोई जियोपॉलिटिक्स या इतिहास समझता हो तो उसे मालूम है कि स्टेट खुद भी टेरेरिस्ट हो सकता है जैसे अपनी नज़र में पाकिस्तान का है.

इज़रायल में जिस नृशंसता से खून बहाया गया उससे किसी ने इनकार नहीं किया लेकिन कम से कम उसके फुटेज थे जिन्हें देख दिल रो रहा था. मगर उसके बाद सत्ता के हाशिये पर पड़े नेतन्याहू ने जो फ़िलिस्तीनी इलाके में किया उसके तो फुटेज देखकर भी कई लोग खुश हो रहे हैं. कारण? क्योंकि मरनेवाले उस धर्म से ताल्लुक रखते हैं जिनसे इन लोगों को दिक्कत है.

ये भी पढ़ें- Israel Attack में सिर्फ एक दिन में 100 से अधिक लोगों की गई जान, 359 घायल

फिर चाहे मर रहा जीव आदमी हो, औरत हो या दुधमुंहा बच्चा हो. हमास तो दुनिया में बदनाम है लेकिन दुनिया भर के माननीयों के बीच स्टेट की हैसियत से उठने बैठने वाले इज़रायल से कौन पूछेगा कि कब रुकोगे? यहूदियों पर सदियों तक हुए जुल्म का बदला किस टाइमलाइन के हिसाब से कब तक लिया जाएगा ये कौन बतानेवाला है?

और सब छोड़िए, कौन ज़्यादा बुरा है इस पचड़े में पड़े बिना अपने हिस्से तो सिर्फ अफसोस, उदासी और दुख ही होना चाहिए. भारत की सभ्यता, संस्कृति, विदेश नीति ने कभी ऐसी निर्दयता का साथ नहीं दिया. सरकारी लाइन पर हम आज भी नहीं दे रहे पर सोशल मीडिया में लाशों पर दांत चियारते ये गिद्ध कितने घिनौने हैं. इन्हें देख- देख घिन्न आती है. लाशों पर कौन हंसता है?? नसरल्लाह हो या नेतन्याहू अपने लोगों के हीरो हैं मगर लोग.. वो बस लोग हैं.. हमारे तुम्हारे जैसे.

एक निजी रेडियो चैनल से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार नितिन ठाकुर के फेसबुक वॉल से. 

डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए Newsmuni.in किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है.

Last Updated on September 30, 2024 10:30 am

Related Posts