लंबी बीमारी के बाद ‘डिस्को किंग’ Bappi Lahiri का निधन, 69 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस

हिंदी संगीत जगत के जानेमाने गायक-संगीतकार बप्पी लाहिड़ी (Bappi Lahiri) का 69 साल का उम्र में निधन हो गया. बप्पी लाहिड़ी कई दिनों से बीमार चल रहे थे. लाहिड़ी ने जुहू के क्रिटिकेयर हॉस्पिटल में मंगलवार की रात को अंतिम सांस ली लाहिड़ी करीब एक महीने से अस्पताल में भर्ती थे और उन्हें सोमवार को अस्पताल से छुट्टी दी गयी थी, लेकिन उनकी सेहत मंगलवार को अचानक बिगड़ गई.

अस्पताल पहुंचने से पहले ही बप्पी दा ने दम तोड़ दिया था. वे ओएसए  (obstructive sleep apnea) नाम की बीमारी से पिछले लंबे समय से जूझ रहे थे. बप्पी दा का अंतिम संस्कार बृहस्पतिवार को जुहू के पवन हंस शवदाहगृह किया जाएगा. लाहिड़ी के परिवार में उनकी पत्नी चित्राणी, पुत्री रीमा और पुत्र बप्पा लाहिड़ी हैं.

परिवार ने जारी किया बयान

लाहिड़ी के परिवार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है ‘यह हमारे लिए अत्यंत दुखद समय है. हमारे प्रिय बप्पी दा बीती रात हमें छोड़ गए. हम उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं. उनका आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ रहेगा.

बप्पी दा सोने की मोटी चेन और चश्मा पहनने के लिए पहचाने जाते थे.सोने की ज्वेलरी के प्रति अपने प्रेम को लेकर अक्सर चर्चा में रहते हैं. उन्होंने 80-90 के दशक में कई फिल्मों में गाने गाए, जो काफी हिट रहे. उनके गाए गानो में फिल्मों ‘चलते-चलते’, ‘डिस्को डांसर’ और ‘शराबी’ जैसी फिल्मे शामिल हैं.

लाहिड़ी को 1970 से लेकर 1990 के दौरान भारतीय सिनेमा में ‘आय एम ए डिस्को डांसर’, ‘जिम्मी जिम्मी’, ‘पग घुंघरू’, ‘इंतेहा हो गयी’, ‘तम्मा तम्मा लोगे’, ‘यार बिना चैन कहां रे’, ‘आज रपट जाए तो’ और ‘चलते चलते’ जैसे गीतों से डिस्को संगीत का दौर शुरू करने का श्रेय दिया जाता है. उन्होंने आखिरी बार सितंबर 2021 में ‘गणपति बप्पा मोरिया’ में काम किया था.

उन्होंने 2000 के दशक में टैक्सी नंबर 9211, साल 2006 में ‘बम्बई नगरिया’ और साल 2011 में आयी ‘द डर्टी पिक्चर’के ‘‘उह ला ला’’ जैसे हिट गीतों को भी अपनी आवाज दी. साल 2014 में आयी फिल्म ‘गुंडे’ का ‘तूने मारी एंट्रियां’ गीत काफी हिट रहा था. उन्होंने बंगाली, तेलुगु, तमिल, कन्नड़ और गुजराती फिल्मों में भी संगीत दिया.

राजनीति में रहे असफल

सफल संगीतकार होने के अलावा लाहिड़ी ने राजनीति में भी किस्मत आजमायी. वे साल 2014 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए. उन्होंने श्रीरामपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा लेकिन तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी से हार गए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा ‘बप्पी लाहिड़ी जी के संगीत ने विविध भावनाओं को खूबसूरती से व्यक्त किया. कई पीढ़ियों के लोग उनके संगीत से जुड़ाव महसूस कर सकते हैं. हर कोई उनकी जिंदादिली को याद करेगा. मैं उनके निधन से दुखी हूं. मैं उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं. ओम शांति.’

ममता बनर्जी ने बप्पी लाहिड़ी को किया याद

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बप्पी लाहिड़ी के निधन के बाद कहा कि मैं बप्पी लाहिड़ी के असामयिक निधन के बारे में सुनकर स्तब्ध हूं. हमारे नॉर्थ बंगाल के एक लड़के ने अपनी प्रतिभा और कड़ी मेहनत के दम पर पूरे भारत में प्रसिद्धि और सफलता हासिल की और संगीत में अपने योगदान से हमें गौरवान्वित किया. हम उनके योगदान को याद करते रहेंगे.

फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर

फिल्म इंडस्ट्री में भी कई लोगों ने गायक के निधन पर शोक व्यक्त किया है और उन्हें बॉलीवुड में संगीत का एक नया अंदाज पेश करने वाले कलाकार के तौर पर याद किया. लाहिड़ी को उनके प्रशंसक प्यार से ‘बप्पी दा’ बुलाते थे. बॉलीवुड अभिनेता अजय देवगन ने कहा, ‘‘उन्होंने चलते चलते, सुरक्षा और डिस्को डांसर के साथ हिंदी फिल्म संगीत को अधिक समकालीन शैली दी. शांति दादा. आप याद आएंगे.’

वहीं गायिका अनुराधा जुजु पलाकुर्ति ने कहा कि लाहिड़ी के निधन से उन्होंने एक मार्गदर्शक खो दिया है.उन्होंने कहा, ‘‘मैंने एक मार्गदर्शक खो दिया, इंडस्ट्री ने एक दिग्गज को खो दिया, जिनका काम हमेशा चमकता रहेगा, दुनिया ने असाधारण अच्छाई और दयालु स्वभाव वाले ‘सात्विक’ व्यक्ति को खो दिया है तथा परिवार ने प्यार करने वाले पति, पिता और दादा को खो दिया है.’

फिल्म निर्माता हंसल मेहता ने लाहिड़ी को अद्भुत मधुर आवाज वाला और प्रतिभाशाली व्यक्ति बताया. उन्होंने ट्वीट किया, ‘एक और दिग्गज चला गया.’

महज 3 साल की उम्र में संगीत की शुरूआत

लाहिड़ी का जन्म पश्चिम बंगाल के कलकत्ता में संगीतकारों के एक परिवार में 1952 में हुआ. बप्पी लाहिड़ी का असली नाम अलोकेश लाहिड़ी था, लेकिन सब उन्हें बप्पी लाहिड़ी के नाम से जानते थे.

लाहिड़ी का संगीत के प्रति प्रेम 3 वर्ष की आयु में ही शुरू हो गया था जब उन्होंने तबला बजाना शुरू किया. उनके पिता अपरेश लाहिड़ी और मां बांसुरी लाहिड़ी शास्त्रीय संगीत और श्यामा संगीत में बंगाली गायक और संगीतकार थे. बप्पी दा उनकी एकमात्र संतान थे. गायक किशोर कुमार उनके मामा थे.

शुरुआत में उन्हें उनके माता-पिता ने संगीत में प्रशिक्षित किया था. उन्हें फिल्म उद्योग में अपना पहला ब्रेक 1973 की फिल्म ‘नन्हा शिकारी’ के माध्यम से मिला था. तब वह मुश्किल से 21 साल के थे. लाहिड़ी बंगाली सिनेमा में भी लोकप्रिय नाम थे, जहां उन्होंने 1972 में आयी फिल्म ‘दादू’ से अपने करियर की शुरुआत की.

Last Updated on February 16, 2022 1:50 pm

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