Caste Census: ख़बर है कि मोदी सरकार (Modi Govt) जनगणना (census) में जाति कॉलम (caste column) जोड़ने पर विचार कर रही है. इंडिया टुडे ने सरकारी सूत्रों के हवाले से इस ख़बर की पुष्टि की है. हमारे देश में 1881 से हर दस साल में जनगणना होती रही है. लेकिन कोविड-19 की वजह से 2021 वाली जनगणना अभी नहीं हो पाई है. ज़ाहिर है सभी राजनीतिक दल जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं.
इतना ही नहीं अगस्त में, इंडिया टुडे ने मूड ऑफ द नेशन (MOTN) जानने के लिए एक सर्वेक्षण कराया था. जिसके अनुसार, 74 प्रतिशत उत्तरदाता जाति जनगणना के समर्थन में थे. जबकि फरवरी 2024 में 59 प्रतिशत के क़रीब लोग इसके समर्थन में थे. ज़ाहिर है अब लोगों के बीच जातीय जनगणना बड़े मुद्दे के रूप में उभर रहा है.
कांग्रेस जातिगत जनगणना को लेकर लगातार मांग उठाती रही है. अगस्त महीने में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा, “मोदीजी, अगर आप जाति जनगणना को रोकने के बारे में सोच रहे हैं, तो आप सपना देख रहे हैं. कोई ताकत ऐसा करने से नहीं रोक सकती. अब भारत का आदेश आ गया है. जल्द ही 90 प्रतिशत भारतीय इस आदेश को लागू करने का समर्थन करेंगे और मांग करेंगे. अन्यथा आप अगले प्रधान मंत्री को ऐसा करते हुए देखेंगे.
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ज़ाहिर है कांग्रेस समेत सभी विपक्ष दल लंबे समय से जाति जनगणना की मांग रही है. इतना ही नहीं NDA के कई सहयोगी दल, जैसे सांसद चिराग पासवान की LJP और बिहार में नीतीश कुमार की JDU भी देशव्यापी जाति जनगणना की वकालत कर रहे हैं.
बिहार में सत्तारूढ़ पार्टी नीतीश कुमार की JDU ने तो राज्यव्यापी जाति सर्वेक्षण के नतीजे जारी करने के बाद राष्ट्रीय जाति जनगणना की मांग की थी. पिछले साल अक्टूबर में जारी सर्वेक्षण से पता चला कि राज्य की 80 प्रतिशत से अधिक आबादी अत्यंत पिछड़े वर्ग की है.
सरकारी नौकरियों में लेटरल एंट्री नियुक्ति (lateral entry hiring) पर हंगामा मचने के बाद, पासवान ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी हमेशा जाति जनगणना के पक्ष में रही है.
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पिछले साल संसद में पारित महिला आरक्षण अधिनियम का कार्यान्वयन भी दस साल की जनगणना के पूरा होने से जुड़ा है. लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिला उम्मीदवारों के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का अधिनियम जनगणना के आंकड़े आने के बाद परिसीमन की प्रक्रिया शुरू होने के बाद प्रभावी होने की संभावना है.
Last Updated on September 16, 2024 1:12 pm